हिंदुस्तान को ऐसे ही नहीं कहा जाता है महान, यहां होते हैं मिसाली काम

Belal Jani
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ब्राह्मण ने मुस्लिम मित्र के आत्मा की शांति के लिए तेरहवीं भोज का किया आयोजन 

जौनपुर। अपने बचपन के मुस्लिम मित्र के निधन के उपरांत मित्रता की मिसाल कायम करते हुए सनातनी धर्म को मानने वाले एक ब्राह्मण मित्र ने उनकी आत्मा की शांति के लिए तेरहवीं के भोज का आयोजन कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। जिसकी हर तरफ लोग एक दूसरे से चर्चा करते नजर आ रहे हैं। 

बता दें शहरी क्षेत्र के मोहल्ला गदन अर्जनी (दढियानाटोला) निवासी मिर्जा शमीम हसन का हृदय गति रुकने से 12 सितंबर को निधन हो गया। निधन की खबर जब सरायख्वाजा थाना क्षेत्र के जमालपुर गांव निवासी सनातनी धर्म को मानने वाले ब्राह्मण कुल में जन्मे उनके बचपन के मित्र मोहन मिश्र को मालूम हुई जिससे उन्हें काफी आघात पहुंचा और वह आंखों में आंसू लिए व्याकुल होकर मृतक मित्र मिर्जा शमीम हसन के आवास पर पहुंचकर स्वयं को संभालते हुए उनके परिजन को सांत्वना देने में जुटने के साथ ही शव यात्रा में शामिल होकर उन्हें सुपुर्द ए खाक होने तक परिजन की ही तरह मायूस चेहरा और आंखों में आंसू लिए साथ साथ रहे। जिसे देखकर कम ही लोग ऐसे थे जो यह अंदाजा लगा पाए की यह मृतक के परिजन में से नहीं है बल्कि उनके मित्र हैं। इस नफरत भरे माहौल में यह कहना गलत नहीं होगा कि सबसे बड़ा और पहला धर्म इंसानियत का होता है जो एक बचपन के मुस्लिम और हिंदू मित्र की दास्तान को मिसाल के तौर पर चरितार्थ करता है।
प्रेम स्नेह और मृतक मित्र की फ़िक्र में व्याकुल रहकर उसकी आत्मा की शांति के लिए अपने धर्म के रीति रिवाज के मद्देनजर शनिवार को अपने आवास पर तेरहवीं के भोज का आयोजन कर मित्रता की ऐसी मिसाल कायम की है कि हर तरफ बस यही चर्चा हो रही है कि मृतक मिर्जा शमीम हसन और मोहन मिश्रा की मित्रता समाज के लिए एक मिसाली मित्रता साबित हुई है।
इस मौके पर उपस्थित रहे लोगों में रविंद्र मौर्य ग्राम प्रधान, मार्तंड प्रताप सिंह एडवोकेट, अरविंद प्रताप सिंह, ध्यानेंद्र सिंह, दयाराम यादव, मायाराम यादव, राजेंद्र विश्वकर्मा, रवि मौर्य, पन्नालाल मौर्य, गोपाल मौर्या, संजय कश्यप, प्रेमचंद कश्यप, शनी मौलाना, मंसूर भाई, नर्सिंग मौर्य, मुन्ना कलवारी, मोहम्मद जफर, मोहम्मद अब्बास, साजिद भाई आदि शामिल रहे।